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Indian Journal of Modern Research and Reviews, 2025;3(8):42-46
भविष्य की रूपरेखा: किशोर अवचारियों की रोकथाम और पुनर्वास नीतियाँ
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किशोर अपराध आज भारतीय समाज के लिए एक गंभीर और बहुआयामी चुनौती बन गया है। यह केवल विधिक समस्या नहीं है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक और मनोवैज्ञानिक कारण गहराई से जुड़े हैं। किशोरावस्था में बच्चों में भावनात्मक अस्थिरता, पहचान की खोज और साथियों के दबाव के कारण अपराध की ओर प्रवृत्ति अधिक होती है। पारिवारिक विघटन, गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, नशाखोरी, लैंगिक असमानता और मीडिया के नकारात्मक प्रभाव इसके मुख्य कारण हैं।
भारत में किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 सुधारात्मक और पुनर्वासमुखी दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो केवल दंडात्मक उपायों पर निर्भर नहीं है। यह अधिनियम किशोर अवचारियों को शिक्षा, कौशल विकास, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और रोजगारपरक प्रशिक्षण के माध्यम से पुनर्वासित करने पर जोर देता है। इस शोध का उद्देश्य मुरादाबाद जिले के परिप्रेक्ष्य में किशोर अवचारियों की रोकथाम और पुनर्वास की नीतिगत संभावनाओं का विश्लेषण करना है।
अध्ययन में गुणात्मक और मात्रात्मक पद्धति का उपयोग किया गया, जिसमें किशोर न्यायालय, बाल कल्याण समिति, पुलिस विभाग, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सुधार गृहों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है। परिणाम बताते हैं कि केवल दंडात्मक दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं है। जिन किशोरों को शिक्षा, परामर्श और व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराए गए, उनमें पुनः अपराध की प्रवृत्ति कम रही। वहीं संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित परामर्शदाताओं का अभाव और अपर्याप्त पुनर्वास कार्यक्रम चुनौती बने हुए हैं।
शोध निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि यदि किशोर अवचारियों को सही दिशा, सुरक्षा और अवसर प्रदान किए जाएँ, तो वे अपराधमुक्त जीवन जीकर समाज के उत्पादक सदस्य बन सकते हैं। अतः भविष्य की दिशा नीतिगत सुधार, पुनर्वास, शिक्षा और सामाजिक सहयोग के व्यापक विस्तार में निहित है।
Keywords
किशोर अपराध, पुनर्वास, रोकथाम, नीति, पुनःएकीकरण, सुधार गृह