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Indian Journal of Modern Research and Reviews, 2024;2(10):36-42
शिक्षा और संस्कृति: भारतीय ज्ञान परंपरा और मुसहर समुदाय
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनः वैश्विक पहचान दिलाने हेतु कृत संकल्पित है। भारतीय ज्ञान परंपरा प्राचीनकाल से ही सम्पूर्ण विश्व को रास्ता दिखाया है। भारतवर्ष के विश्वगुरु कहलाने का आधार इसकी आर्ष-परम्परा रही है। हमारे देश के ऋषि, मुनि एवं आचार्यों ने भारत सहित पूरे विश्व को ज्ञान रूपी प्रकाश से हमेशा आलोकित किया है। भारतीय लोक परंपरा और संस्कृति के मूल तत्त्व भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर अद्वितीय बनाते हैं। भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना में कई संस्कृतियाँ माला में मोती की तरह गुथी हुई हैं। एक अद्वितीय भौगोलिक अवसंरचना में भी अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं को बनाए रखकर ये विभिन्न संस्कृतियाँ न केवल भारतीय सौन्दर्य को निखारती हैं बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध भी करती हैं। ऐसी ही एक लोक संस्कृति मुसहर समुदाय की है। मुसहर समुदाय की एक विशिष्ट जीवन संस्कृति है, जोकि मुसहर समुदाय को एक ख़ास पहचान दिलाती है। मुसहर समुदाय मुख्यतः नेपाल और भारत के तराई इलाकों में निवास करता है। इस समुदाय की सामाजिक-शैक्षिक स्थिति में आज़ादी के बाद से अब तक काफी सुधार हुआ है। वर्ष 1961 में इनकी साक्षरता केवल 2 % थी, जो 2011 की जनगणना तक 22% हो गई है। अन्य समुदायों की तुलना में फिर भी वे बहुत पिछड़े हुए हैं। मुसहर समुदाय मुख्य समाज में हाशिये पर है। इस शोध पत्र में मुसहर समुदाय की जीवन जीने की परिपाटी अर्थात उनके अद्वितीय जीवन दर्शन और संस्कृति का अध्ययन किया गया है। इसके साथ ही साथ उनकी ज्ञान प्रणाली, जीवन कौशल विकास और सामाजिक-शैक्षिक समावेशन की स्थिति का भी विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
Keywords
भारतीय ज्ञान परंपरा, मुसहर संस्कृति, हाशिये का जीवन, सामाजिक समावेशन और शैक्षिक विकास।.